“उनकी (ईश्वर की) महिमा से यह बहुत-बहुत दूर है कि मनुष्य की लेखनी अथवा ‘उसकी’ जिह्वा ‘उसके’ रहस्य का संकेत भी दे सके...।” -बहाउल्लाह

प्रकटीकरण

सम्पूर्ण ब्रहमांड का रचयिता ईश्वर सर्वज्ञाता है, सर्वप्रिय और सर्वदयालु है। जिस प्रकार भौतिक सूर्य पूरे संसार को प्रकाश देता है उसी प्रकार ईश्वर का प्रकाश समस्त सृष्टि पर आच्छादित है। किसी भी नश्वर मस्तिष्क के लिये यह असम्भव है कि वह ईश्वर की वास्तविकता को सही रूप में समझ सके। ईश्वर के सम्बन्ध में हमारी अवधारणा कितनी भी व्यापक और कल्पनाशील हो, यह बराबर मानव-मस्तिष्क की सीमाओं के अधीन रहेगी।

सभी युगों में ईश्वर ने, दिव्य संदेशवाहों को भेजा है जो ईश्वर के अवतार के रूप में जाने जाते हैं। मानवजाति की आध्यात्मिक, बौद्धिक और नैतिक क्षमताओं को सम्पोषित करने के लिए अब्राहम, कृष्ण, जरथुस्त, मूसा, बुद्ध, ईसा मसीह, मुहम्मद और हाल के समय में बाब और बहाउल्लाह इस कड़ी में आये। ईश्वर के अवतार के आने के बाद दुनिया में असाधारण प्रगति होती है। मानवीय संवेदनाओं की जड़ तक पहुँच कर ‘उनकी’ शिक्षायें जन-मानस की क्षमताओं को बढ़ाती हैं ताकि सभ्यता का विकास उस हद तक किया जा सके जिस हद तक पहले कभी नहीं हुआ।

आज हम अपने आप को मानव नस्ल की वयस्कता की दहलीत पर पाते हैं। विभिन्न चरणों को पार करते हुये हम सामूहिक रूप से अपनी शैशवावस्था और बाल्यावस्था को पार कर चुके हैं। पूरी दुनिया में मानव-समाज को एक नया स्वरूप दिया जा रहा है: और अंतिम विचारधारा स्पष्ट है; हम एक भूमंडलीय सभ्यता के रूप में मानव-समाज के सगठन से कम नहीं देख रहे हैं।


“ईश्वर की आश्चर्यजनक रचना के प्रमाणों को, देखों और इसकी पहुँच तथा विशेषताओं पर विचार करो।”

— बहाउल्लाह

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