“जैसे-जैसे प्रभुधर्म की संस्थायें अनुभव प्राप्त करती हैं, वैसे-वैसे वे सहायता, संसाधन, प्रोत्साहन और समुचित पहल करने के लिये प्रेमपूर्ण मार्गदर्शन देने में : अपने बीच, और उनके साथ जिनकी वे सेवा कर रहे हैं, सद्भावपूर्ण वातावरण में, स्वतंत्रतापूर्वक परामर्श करने और व्यक्तिगत तथा सामूहिक शक्तियों को समाज के परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ाने में उत्तरोत्त निपुण बनती चली जाती हैं।”

— विश्व न्याय मंदिर

बहाई समुदाय के प्रशासनिक ढाँचों का क्रमिक विकास और इनसे सम्बद्ध प्रक्रियाओं के परिष्करण ने बहाई धर्म के आरम्भ से ही विशेष रूप से ध्यान प्राप्त किया है। इस वेबसाइट के “बहाई क्या मानते हैं” पृष्ठ पर “बहाई प्रशासनिक व्यवस्था” शीर्षक के अंतर्गत विषय का विवरण कुछ विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।

संस्थागत क्षमता को बढ़ाने में बहाई जो अपनी शक्ति लगाते हैं और जितना ध्यान देकर वे प्रशासनिक प्रक्रियाओं और ढाँचे को बढ़ते और विकसित होते देखते हैं वे केवल इस इच्छा से नहीं प्रेरित होते हैं कि बहाई समुदाय के अपने अंदर के क्रियाकलाप व्यवस्थित हों। इस विकास में वे एक नई सामाजिक व्यवस्था के प्रतिमान के लिए आवशयक योगदान को भी देखते हैं जिसकी कल्पना बहाउल्लाह ने की थी, जब परिपक्व मानवजाति उसके राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मामलों पर नए तरीकों से विचार करेगी।

नोट: