“तुम एक हाथ की अंगुलियों के समान बनो, एक शरीर के अंग बनो। प्रकटीकरण की महालेखनी तुम्हें यही सलाह देती है। -बहाउल्लाह

एक मानव परिवार

यह विश्वास कि हम एक मानव-परिवार के हैं, बहाई धर्म के केन्द्र में है। मानवजाति की एकता का सिद्धांत वह धुरी है जिसके चारों ओर बहाउल्लाह की सारी शिक्षायें घूमती हैं।

बहाउल्लाह ने मानव-संसार की तुलना मानव-शरीर से की है। मानव शरीर के अंदर लाखों कोशिकायें, जो आकार और कार्य में भिन्न होती हैं; एक स्वस्थ प्रणाली को संचालित रखने में अपनी-अपनी भूमिका अदा करती हैं। जो सिद्धांत शरीर के संचालन में काम करता है वह है सहयोग। इसके विभिन्न अंग संसाधनों के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं करते, अपितु, प्रारम्भ से ही प्रत्येक कोशिका लगातार आदान-प्रदान की प्रक्रिया में लगी रहती है।

मानवजाति की एकता का सिद्धांत यह माँग करता है कि पूर्वाग्रह, चाहे यह नस्त से सम्बन्धित हो अथवा धार्मिक, या फिर लिंग पर आधारित हो, इसे पूर्णतः दूर किया जाना चाहिये।


“मानवजाति के मूल में संपूर्ण बंधुत्व है, क्योंकि सभी एक ईश्वर के सेवक हैं और दिव्य परमात्मा के संरक्षण में एक ही परिवार से संबद्ध हैं।”

— अब्दुल‑बहा

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