विश्व न्याय मंदिर का भवन कार्मल पर्वत पर अर्धवृत्ताकार के शीर्ष पर संस्थापित है।

विश्व न्याय मंदिर 

विश्व न्याय मंदिर का कार्यालय

शोगी एफेंदी ने कहा था कि विश्व न्याय मंदिर का स्थायी कार्यालय कार्मल पर्वत की ढलान पर, बाब की समाधि के आस-पास और बहाउल्लाह के परिवार के सदस्यों की चिरविश्रामस्थली के करीब होगा। इसकी प्रत्याशा में धर्मसंरक्षक ने वृतांश के आकार में निर्मित पथ के चारो ओर सुन्दर बगीचे विकसित किये और अनेक ऐसे भवनों के बारे में सोचा जो बहाई धर्म के विश्व प्रशासनिक केन्द्र के रूप में नियत किये गये थे।

विश्व न्याय मंदिर ने जून 1975 में घोषणा की कि अब वह समय आ गया है जब अपने स्थायी कार्यालय के निर्माण की शुरूआत की जाये, एक ऐसा भवन जो “न केवल धीरे-धीरे दृढ़ हो रहे प्रशासनिक केन्द्र की व्यावहारिक ज़रूरतों को पूरा करेगा, अपितु आने वाली शताब्दियों तक दिव्य रूप से आदेशित बहाउल्लाह की प्रशासनिक व्यवस्था की संस्थाओं की भव्यता की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति देगा।” भवन का निर्माण कार्य 1983 1 में पूरा हो गया और उसका अधिग्रहण कर लिया गया।

वास्तुकला की एक सुसंगत शैली

विश्व न्याय मंदिर का कार्यालय कार्मल पर्वत पर वृतांश के शीर्ष पर अवस्थित है। इसके पूर्वी भाग में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण केन्द्र की संस्था के लिये स्थायी भवन है। दूसरे भाग में है पावन पुस्तकों के अध्ययन के लिये केन्द्र- जिसमें लायब्रेरी तथा अन्य कार्यालय- और अन्तर्राष्ट्रीय बहाई संग्रहालय भवन हैं, जिसमें प्रभुधर्म की केन्द्रीय विभूतियों और बहाई धर्म के प्रारम्भिक वर्षों से सम्बन्धित ऐतिहासिक शिल्प-अलंकरण और बहुमूल्य स्मृति-चिन्ह संग्रहित हैं।

वृतांश पर बने अन्य भवनों की तुलना में विश्व न्याय मंदिर के कार्यालय का महत्व अपने स्थान के साथ-साथ वास्तुशिल्पीय बनावट, इसके आकार और इसकी ऊँचाई के कारण स्पष्ट रूप से बढ़ जाता है।

विश्व न्याय मंदिर का कार्यालय

शोगी एफेंदी ने कहा था कि वृतांश के इर्द-गिर्द के भवन वास्तुशिल्प की एक सुसंगत शैली पर आधारित होने चाहिये, एक ऐसी शैली जिसे उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय बहाई संग्रहालय को शास्त्रीय अंदाज़ में बनवा कर स्वयं स्थापित किया था। इसके लिये आवश्यक था कि बाकी भवनों का वास्तुशिल्प भी शास्त्रीय अंदाज़ में हो अथवा एक ऐसी आधुनिक शैली जिसमें शास्त्रीय वास्तुशिल्प के सिद्धांत समाविष्ट हों; बहाई धर्म की सर्वोच्च प्रशासनिक परिषद के कार्यालय के लिये एक भव्य शैली को अपनाया गया।

लम्बी धारी वाले कोरिन्थियन स्तम्भ छत्ते को संवारते हैं, ये स्तम्भ भवन के चारों ओर हैं। वृतांश की धुरी पर, भवन के प्रवेश-द्वार पर स्तम्भों से बाहर की ओर निकलते पोर्टिको छः अतिरिक्त स्तम्भों पर टिका है। उस समय समान रूप-रंग के फारसी वास्तुशिल्प के पोर्टिको याद आ जाते हैं और जो भाव इनसे अभिव्यक्त होते हैं उससे यही लगता है कि ये पोर्टिको अंदर बुला रहे हों। जिस मुख्य द्वार से अतिथि और तीर्थयात्री प्रवेश करते हैं उसके ऊपर उस कक्ष की बड़ी खिड़की है जहाँ विश्व न्याय मंदिर मिलता है। बहाउल्लाह की समाधि की ओर रूख किये यह कक्ष पूरे भवन का हृदय है, जिसके ऊपर एक गुम्बज का ताज है। पूर्वी वास्तुशिल्प में अनेक गुम्बजों की तरह यह गुम्बज अष्टभुजाकार है।

न्याय मंदिर के परिषद्-कक्ष के अलावा तीर्थयात्रियों और अन्य महत्वपूर्ण आगन्तुकों के लिये एक स्वागत-हॉल है, एक सम्मेलन-कक्ष है और न्याय मंदिर के तात्कालिक कार्य के लिये सचिवालय का स्थान है।

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