“वह, जो तुम्हारे स्वामी हैं, सर्वदयालु हैं; सम्पूर्ण मानवजाति को एक आत्मा और एक शरीर के रूप में देखने की आकांक्षा अपने हृदय में रखते हैं।”— बहाउल्लाह

दुनिया के हज़ार-ओ-हज़ार स्थानों में बहाई धर्म की शिक्षायें उन व्यक्तियों और समुदायों को प्रेरणा देती हैं, जो अपना जीवन उन्नत करने और अपना योगदान देकर सभ्यता के विकास में योगदान देते हैं। बहाई मान्यतायें ईश्वर और धर्म की एकता, मानवजाति की एकता और पूर्वाग्रह से मुक्ति, मानव में अन्तर्निहित श्रेष्ठता, धार्मिक सत्य के प्रगतिशील प्रकाशन, आध्यात्मिक गुणों को विकसित करने, आराधना और सेवा का एकीकृत रूप से आंकलन करने, स्त्री-पुरूषों की मौलिक समानता, धर्म और विज्ञान के बीच समरसता, सभी मानवीय प्रयत्नों के प्रति न्याय की एकरूपता, शिक्षा की महत्ता और जैसे-जैसे मानवजाति सामूहिक परिपक्वता की ओर अग्रसर होती है, संबंधों की गत्यात्मकता व्यक्तियों, समुदायों तथा संस्थाओं को एक साथ जोड़ती है ।

वेबसाइट के इस हिस्से का उद्देश्य केन्द्रीय बहाई मान्यताओं को कुछ विषयों के अन्तर्गत व्यवस्थित करना है - आत्मा का जीवन; ईश्वर और उसकी सृष्टि; अनिवार्य सम्बन्ध और विश्व शांति। इसके अतिरिक्त, बाब, बहाउल्लाह,अब्दुल-बहा और शोगी एफेंदी के जीवन के संक्षिप्त विवरण के साथ बहाउल्लाह और उनकी संविदा शीर्षक के अंतर्गत बहाई धर्म के उद्भव का एक सारांश भी उपलब्ध कराया गया है। यह बहाउल्लाह द्वारा आदविश्व न्याय मंदिर का परिचय भी देता है, जिसकी ओर आज सम्पूर्ण बहाई समुदाय बहाई शिक्षाओं को व्यवहार में उतारने के लिये मार्गदर्शन की कामना करता है।

बहाई मान्यताओं की बेहतर समझ पाने के लिये आप बहाई सन्दर्भ ग्रंथालय का पन्ना देख सकते हैं जहाँ आप बाब, बहाउल्लाह और अब्दुल-बहा के लेखों को पढ़ सकते हैं; साथ ही, शोगी एफेंदी द्वारा लिखी गई किताबें औरविश्व न्याय मंदिर के वक्तव्यों और पत्राचारों का संकलन भी पा सकते हैं।

“हे, मनुष्य की संतानो ! ईश्वर के धर्म का मूल उद्देश्य है मानव के हितों की रक्षा और मानवजाति के बीच एकता की भावना को बढ़ाने के लिये प्रेम तथा बंधुत्व की भावना को प्रोत्साहित करना। ...इस आधार पर जो कुछ भी स्थापित किया जाता है उसे दुनिया के परिवर्तन अथवा संयोग कमज़ोर नहीं कर सकते, न ही असंख्य सदियों की क्रांति इसके ढांचे को हिला सकती है।”

— बहाउल्लाह