बहाउल्लाह के स्वर्गारोहण के बाद, अब्दुल‑बहा, बहाई धर्म के ‘प्रधान’।

अब्दुल‑बहा – परिपूर्ण उदाहरण

अब्दुल-बहा के समय में बहाई समुदाय का विकास

अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, जो 29 सालों का था, अब्दुल-बहा ने दुनिया के हर भाग में बहाई धर्म का प्रसार करने के लिये परिश्रम किया और बहाउल्लाह द्वारा आदेशित प्रशासनिक संस्थाओं के विकास को प्रोत्साहित किया।

बहाई समुदाय का विस्तार और सुदृढ़ीकरण

अब्दुल-बहा के मार्गदर्शन में ईरान में आध्यात्मिक सभाओं का एक जाल-सा बिछ गया, जिसने बहाई समुदाय के काम-काज की देख-रेख की, इसके सदस्यों के नैतिक विकास को सम्पोषित किया, लड़कियों की शिक्षा की ओर ख़ास ध्यान देते हुये स्कूलों की व्यवस्था की, बीमार लोगों की देख-भाल की व्यवस्था की और बहाई शिक्षाओं के प्रसार के लिये काम किये।

अब्दुल-बहा ने महिलाओं के विकास पर काफी बल दिया, जिन्होंने समुदाय की गतिविधियों में अपनी भूमिका निबाहना शुरू कर दिया था और अन्ततः आध्यात्मिक सभाओं के सदस्यों के रूप में पुरूषों से समानता स्थापित करने लगी थीं, वे दोनों - स्थानीय और राष्ट्रीय सभा में ईरान के अनुयायियों के बीच से चुनी गईं।

अब्दुल-बहा ने कौकेशस और रूसी सेन्ट्रल एशिया में भी बहाई धर्म के प्रसार के निर्देश दिये, जहाँ अश्काबाद में अपने बहाई उपासना मंदिर, स्कूल और बहाई साहित्य के प्रकाशनों के साथ, सरकारी प्रतिबंधों से अबाधित एक आदर्श बहाई समुदाय बना।

मिस्त्र, जो अब्दुल-बहा के प्रवास से काफी लाभान्वित हुआ, ने भी एक ऐसे बहाई समुदाय के विकास को देखा, जिसमें मुस्लिम और काॅप्टिस पृष्ठभूमि के अलावा ईरानी, कुर्द और आरमेनियन बहाई भी शामिल थे। टर्की के आटोमन इराक़, तुनिशिया और यहाँ तक कि चीन और जापान के दूर-दराज के हिस्सों में बहाई समुदाय फला-फूला और अब्दुल-बहा के नेतृत्व में मजबूत बना।

पश्चिम में विकास

अब्दुल-बहा और उनके सह-यात्रीगण पेरिस स्थिल आइफल टावर के नीचे, 1912 में

बहाउल्लाह के स्वर्गारोहण के तुरंत बाद बहाई धर्म का एक महत्वपूर्ण विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ। प्रारम्भ में इसकी स्थापना सीरिया के एक ईसाई पृष्ठभूमि के बहाई के प्रयासों से हुआ था। अब्दुल-बहा ने अमेरिका और कनाड़ा के अनुयायियों और संस्थाओं के विकास की ओर विशेष ध्यान दिया था और उत्तरी अमेरिका के बहाइयों को बहाउल्लाह की शिक्षाओं को शेष विश्व के अधिकांश भागों में ले जाने का जिम्मा सौंपा। 1898 के बाद से अब्दुल-बहा से मिलने अक्का आने वाले अमेरिका और युरोप के तीर्थयात्रियों का प्रवाह बना रहा, जिन्होंने उनके शिक्षण-प्रयासों को प्रोत्साहित किया। अपने कार्यकाल के अन्तिम वर्षों में उनके आग्रह पर और दिव्य योजना की पातियों के उत्तरस्वरूप बहाई पहले दक्षिण अमेरिका और आस्ट्रेलिया पहुँचे।

बहाई धर्म के पश्चिमी फैलाव ने इसे प्रबल मुस्लिम माहौल से मुक्त किया जिस माहौल में आरम्भ में इसका विकास हुआ था। अब्दुल-बहा ने बहाई शिक्षाओं को ईसाई माहौल में ले जाने में एक प्रमुख भूमिका निबाही। इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण है पश्चिमी तीर्थयात्रियों को सम्बोधित उनकी वार्ताओं का एक संकलन “सम आन्सर्ड क्वेश्चन्स”, जिसमें उन्होंने धार्मिक और दार्शनिक विषयों पर चर्चा की है।

अब्दुल-बहा की मिस्त्र, युरोप और उत्तरी अमेरिका की यात्राओं ने पश्चिम में बहाई धर्म की पहचान और प्रशंसा दृढ़तापूर्वक स्थापित कर दी। उन देशों की यात्राओं ने न केवल व्यक्तिगत रूप से अब्दुल-बहा से मिलने का अवसर बहाइयों को दिया, बल्कि उन्होंने बहाउल्लाह की शिक्षाओं को लोगों के एक ऐसे विस्तृत समुदाय में भी पहुँचा दिया, जो शायद उनके बारे में सुन भी नहीं पाते। विश्वविद्यालयों, गिरिजाघरों, यहुदी सभागारों, मस्जिदों और लोकोपकारी समाजों में अब्दुल-बहा की अनेक जनसभाओं ने धर्म के लिये बड़ी संख्या में प्रशंसकों और नये अनुयायियों को खड़ा कर दिया। अब्दुल बहा की वार्ताओं ने बहाई शिक्षाओं की सम्मानजनक प्रस्तुति का आधार तैय्यार किया, ख़ासकर सामाजिक शिक्षाओं का आधार आने वाले अनेक दशकों तक बना रहा। अब्दुल-बहा के हाथों शिकागो के पास, पश्चिम में पहले बहाई उपासना मंदिर की आधारशिला को रखा जाना उत्तरी अमेरिका में बहाई संस्थाओं की शुरूआत को रेखांकित करता है।

ईरान में लड़कियों की शिक्षा के लिये प्रारम्भिक बहाई योगदान

अब्दुल-बहा के परिवार से विरोध

बहाउल्लाह के स्वर्गारोहण के तुरंत बाद अब्दुल-बहा पर सबसे अधिक दबाव डालने वाली समस्या उनके सौतेले भाई, मिर्जा मुहम्मद अली द्वारा लगातार विरोध की स्थिति थी। अनियंत्रणीय ईष्र्या से प्रेरित होकर उन्होंने अब्दुल-बहा पर ग़लत आरोप लगाया कि उन्होंने बहाउल्लाह से बराबरी का दावा किया, बहाउल्लाह की दूसरी संतान के अधिकार को छीन लिया और नागरिक अधिकारियों के विरूद्ध राजद्रोह के लिये भड़काया। मुहम्मद अली की हलचल अपनी पराकाष्ठा पर तब पहुँची जब 1901 से 1909 के बीच अब्दुल-बहा को अक्का की चहारदीवारी के बीच रहने की कड़ी सजा दोबारा काटनी पड़ी। हायफा- अक्का क्षेत्र में रहने वाले अनेक बहाइयों को मुहम्मद अली प्रभावित करने में समर्थ हुआ। उसने उस व्यक्ति को भी भड़काया जो प्रभुधर्म का संदेश अमेरिका तक ले गया था। किन्तु, अन्य सभी, हालाँकि वे अब मुट्ठी भर ही लोग बचे थे, अब्दुल-बहा के प्रति वफ़ादार बने रहे।

अन्य उपलब्धियां

बाब की प्रारम्भिक समाधि, जैसी अब्दुल-बहा द्वारा बनवाई गई

अब्दुल-बहा के कार्यकाल के दौरान महत्व की अन्य घटनायें ईरान से बाब के अवशेषों का अक्का में स्थानान्तरण और कार्मल पर्वत की समाधि में उनको समाधिस्थ करना, दिव्य योजना की पातियों का अब्दुल-बहा द्वारा लिखा जाना, जो बहाई धर्म के प्रसार की रूपरेखा तैय्यार कर सका और जो पूरब और पश्चिम में आधुनिक प्रशासनिक संस्थाओं के विकास के पहले कदम के रूप में बहाई धर्म के विस्तार की रूपरेखा प्रस्तुत करने वाला था, रूसी तुकिस्तान में बहाई सामुदायिक जीवन के अनेक पहलुओं को विकसित करने के लिये अश्काबाद के बहाई समुदाय द्वारा किये गये उपाय, जो बहाई उपासना मंदिर के निर्माण के साथ अपने शीर्ष पर पहुँचा उत्तरी अमेरिका में बहाई उपासना मंदिर के निर्माण की शुरूआत थी, प्रसिद्ध बहाई विद्वान मिर्जा अबुल फज़ल गुलपायगानी द्वारा बहाई धर्म का संदेश कैरो में इस्लामी दुनिया के अग्रणी शिक्षण संस्थान, अल-अज़हर विश्वविद्यालय में देना और छोटे-छोटे दलों में बहाइयों की अंतर्राष्ट्रीय यात्रायें, जिसने एक विश्वव्यापी धार्मिक आन्दोलन को शुरू करने में मदद की।

अब्दुल-बहा की मृत्यु के समय तक बहाई धर्म कोई 35 देशों में फैल चुका था।

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